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आओ लिखें बबूल पर
 
लिखी गयीं कविताएँ अब तक
कली पुष्परज फूल पर
आओ लिखें बबूल पर

दुख की धूप सुखों की छाया
आती द्वैत भरे जीवन में
मनमोहक पुष्पों के पीछे
कांटे भी रहते उपवन में

पुष्पगुच्छ पर प्यार लुटाकर
घृणा न फेंको शूल पर
आओ लिखें बबूल पर

आकर्षण में रहे बांधते
हीरा पन्ना माणिक मोती
पर जीवन का अटल सत्य यह
सबकी एक अहमियत होती

हे महलों में रहने वालो !
कुछ तो रीझो धूल पर
आओ लिखें बबूल पर

गुणधर्मों का मान मिला कम
पीर उपेक्षा वाली गहरी
कंटक-अस्त्र हाथ में लेकर
फिर भी खड़ा हुआ बन प्रहरी

खड़ा समर्पित सैनिक सा वह
खेत बाड़ नद कूल पर
आओ लिखें बबूल पर

- त्रिलोक सिंह ठकुरेला
१ मई २०२०

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