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         क्यों बबूल

 
क्यों बबूल
किसने छुपाए
ये अंतरतम में गड़े शूल..?

माना कि सब कुछ ठीक नहीं
दुनिया से माँगी भीख नहीं
मर्यादा हैं औषधियाँ भी
पर लेता कोई सीख नहीं
बस केवल
आकर्षण दिखता
जिसमें जाते हैं सभी झूल

इस रंग रूप के उत्सव में
होता समादृत गुण ही है
पर शेष कथा लिखने तक तो
दानी मन नयन कृपण ही हैं
कुछ तो सोंचो
अपने मन में
अपमान मान को तनिक भूल

जब प्यासा जाता कूप पास
भर अँजुरी नीर पिलाता है
वैसे ही दानी रहो बने
देता आशीष विधाता है
क्या जीना
और क्या मर जाना
परकारज है तथ्य मूल

- रंजना गुप्ता
१ मई २०२०

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