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पीले कीकर फूल
 
शोभाकारी पूजनीय हैं
पीले कीकर फूल
फिर भी सारे जग की निंदा
झेलें वृक्ष बबूल

सूरज की किरणों से कीकर
सुख का संसार लिखें
जेठ दुपहरी में ये तपकर
दुख का उपचार लिखें

कांटे सहकर खुशियाँ लिखते
मुग्ध शाख पर झूल

फैला बाहें बरगद जैसे
सब को राह दिखायें
अपराजित ये कभी न होते
आशा नयी जगायें

आँधी बारिश तेज धूप हो
हँसकर सहते धूल

तन-मन को बल देने वाले
कीकर बहुउपयोगी
औषधि की हैं खान जानिए
रखते सदा निरोगी

पत्ते फलियाँ तना पुष्प दें
जीवन मूल समूल

- पुष्प लता शर्मा
१ मई २०२०

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