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          तुम क्या जानो

 
मैं वृद्ध बबूल बताता हूँ
जीवन का सार तत्व तुमको
विपरीत हवाओं-आंधी में
क्या होता है तुम क्या जानो?

तन के काँटे मन में सहेज
कुछ चतुर चुभोते वक्त देख
भीतर बाहर का एकरूप
क्या होता है तुम क्या जानो?

यह जीने का अंदाज मेरा
यह कवच नुकीला पहन ओढ़
तपती में अडिग डटे रहना
क्या होता है तुम क्या जानो?

बंजर को शापमुक्त करना
सूखे में लह-लह हरियाना
जंगल का मंगल में ढलना
क्या होता है तुम क्या जानो?

वरदान माँगना लेना सब
तापस का कर्म नहीं होता
वरदानों सी ठंडक देना
क्या होता है तुम क्या जानो?

कैक्टस की डाल नहीं हूँ मैं
रोपी और फूटी अगल- बगल
जड़ से जुड़ना शतकों जीना
क्या होता है तुम क्या जानो ?

- मधु संधु
१ मई २०२०

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