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         हम बबूल के पेड़ सरीखे

 
हम बबूल के पेड़ सरीखे

अपनी जीवन शैली ऐसी
सदा समर्पित और हितैषी
अपमानों के घूँट पिये पर
मुस्कानें फूलों के जैसी

पड़े हुये घर के कोने में
दर्द हुआ फिर भी ना चीखे
हम बबूल के पेड़ सरीखे।

आदर्शों पर टिके रहे हम
बंद रही उन्नति की खिड़की
अस्पृश्यों-सा जीवन पाया
पदच्युत रहकर पायी झिड़की

काटे गये रहे हम पिछड़े
निर्ममता के दाग न दीखे
हम बबूल के पेड़ सरीखे

कामकाज में रहे अग्रणी
किंतु यथोचित मान न पाया
अन्तिम चरण आयु का लेकिन
ममतामय देता हूँ छाया
सम्बन्धों में कपट चातुरी
जीवन हुआ व्यतीत न सीखे
हम बबूल के पेड़ सरीखे

- भावना तिवारी
१ मई २०२०

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