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राजकुमार बबूल
 
सिर पर रखा ताज काँटों का
उस पर पीले फूल
सीना तान खड़ा मरुथल में
राजकुमार बबूल
1
भरी दुपहरी में देता है
सबको शीतल छाँव
झीना आँचल उसमें सुंदर
बसा बया का गाँव

बाहर भले गरम हो मौसम
भीतर रहता ‘कूल’
1
नरम टहनियाँ तोड़ किसी ने
बना लिया दातून
रोक रहा कोई पत्ती से
अपना बहता खून

खोज रहे फलियों में नुस्खे
राम और मकबूल
1
नहीं आम से कोई तुलना
करे आदमी आम
उतना ही गुणकारी है यह
है जितना बदनाम

नहीं रही लेने की चाहत
देना रहा उसूल
1
- बसंत कुमार शर्मा

१ मई २०२०

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