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शुभदायी कीकर
 
शुभदायी कीकर सदा, प्रभु विष्णु का निवास।
पूजन इसका जन करें, रहे लक्ष्मी वास।।

बीहड़ फैले हर जगह, दिखते वृक्ष बबूल।
लंबी फैली शाख हैं, सूई जैसे शूल।।

मरुथल पर छाये हुए, परोपकार में व्यस्त।
पशुओं का चारा बने, हरी पत्तियाँ मस्त।।

औषधि के गुण से भरे, इसके सारे अंग।
आजमा कर देखिये, यह आरोग्य प्रसंग।।

वन में सोना है खड़ा , ना जाने इंसान।
सेहत तुरत सुधार दे, आयुर्वेद की जान।।

मित्र हमारा ये बना , करता है उपकार।
गोंद, कैल्शियम, खनिज का, है बबूल भंडार ।।

- मंजु गुप्ता
१ मई २०२०

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