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कीकर करे कमाल |
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पूज्यनीय है वृक्ष ये, काँटों
भरा बबूल।
किन्तु मित्र अज्ञानवश, दिखता केवल शूल।।
फली और पत्ते तने, गोंद तने की छाल।
गुणकारी औषधि लिये, कीकर करे कमाल।।
विहँस रहा है ग्रीष्म में, सुंदर वृक्ष बबूल।
सम्मोहित करने लगे, इसके पीले फूल।।
कर लेता है स्वयं को, जीवन के अनुकूल।
तपते रेगिस्तान में, हँसकर खड़ा बबूल।।
मौसम हो अनुकूल या, हो मौसम प्रतिकूल।
विचलित होता ही नहीं, सब कुछ इसे कुबूल।।
- कृष्ण कुमार तिवारी
१ मई २०२० |
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