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सच सच कहने वाले लोग
 
जो भीतर है वो ही बाहर रखने वाले लोग,
शूल बबूल से चुभते सच-सच कहने वाले लोग।

मन में प्यार का सागर है, नदियों का कोलाहल
ऊपर ऊपर रूखा मरुथल दिखने वाले लोग

याद आते हैं बौने लोगों के इस जंगल मे
खुद्दारी से सर ऊँचा कर चलने वाले लोग

नीम बबूल की औषधि जैसे पीड़ा हर लेती
ऐसे ही होते ये कड़वे लगने वाले लोग

मुझ मीरा के विष को भी वो अमृत कर देंगे
फूल से प्यारे हैं ये शूल से चुभने वाले लोग

- सुवर्णा दीक्षित
१ मई २०२०

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