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बाँसों के झुरमुट में
 

बाँसों के झुरमुट
में धूप अलसायी है

थकी सी है दोपहर
लंबा दिन का सफर
कानों में छाया के
कुछ कह आई है

बाँसों के झुरमुट में
धूप अलसायी है

जंगल सब बन्द हुये
कलरव सब मंद हुये
आमों के बौरों पर
रौनकसी छाई है

बाँसों के झुरमुट में
धूप अलसायी है

लम्बाई बाँसों की
थी नहीं आँकी
कोयल भी फुनगी से
आँगन में झाँकी

चैत्र की विदाई पर
लू चली आयी है

सुन्दरतम फूलों से
सजती है टहनी
गेंदा और चमेली
गुलाब की है बहनी

पीला है सूरज मुखी
क्यारी गदरायी है

- आभा सक्सेना
१८ मई २०१५

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