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वृक्ष ये अशोक के
 

वृक्ष ये अशोक के

विनीत निर्मलांगी
संत तुल्य वानगी
हर ऋतु में एक सा
रूप तरो ताजगी
नभ इंगित कर रहे
शीर्ष शर अमोघ से
वृक्ष ये अशोक के

अश्रु देख मात के
पर्ण नत विषाद से
पावन स्मृति स्तंभ ये
गौरवित प्रवाद के
रक्षक भूलोक के
वृक्ष ये अशोक के

हेम पुष्प शक्ति से
कर्म सब अबाध हों
दैवीय आशीष से
चिंता न विषाद हो
शमक सभी रोग के
वृक्ष ये अशोक के

- ओम प्रकाश नौटियाल 

१ अगस्त २०१८

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