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तुम हो तो कैसा शोक |
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तुम हो तो कैसा शोक, अशोक
जब बनो द्वारा पर वंदनवार
जब सावन भादों का शृंगार
पुण्यावाचन से शुद्ध होते
तुमसे पवित्र सारे संस्कार
घर में फैले आलोक, अशोक
बनता है बगीचा वृंदावन
जहाँ तुम हो वह नंदनकानन
तुम से ही मिले बल उपवन को
जैसे घृत शतावरी रसायन
तुमसे ही दशकुल वृक्ष, अशोक
करते हो वास्तुदोष को नष्ट
तुम हो न कभी होता है कष्ट
तुम सकारात्मक ऊर्जा से दो
सुख, शांति और वैभव उत्कृष्ट
तुम कल्पवृक्ष से न कम, अशोक
- गोपाल कृष्ण आकुल
१ अगस्त २०१८ |
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