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पेड़ ये अशोक के |
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पेड़ ये अशोक के खड़े ज्यों
द्वारपाल हैं
ये रहें जहाँ वे घर सदैव ही बहाल हैं
पात पात झूमते हुए बिखेरते छटा
औषधिय तत्व से भरी हरेक डाल हैं
धूप हो कि छाँव हो खड़े रहें तटस्थ ये
आसमान चूमते दिखे बड़े विशाल हैं
ताम्र पात ,हेमपुष्प, नाम हैं अशोक के
शोक भी मिटाये रोग के भी कटते जाल हैं
फूल,बीज जड़ अशोक की गुणों से हैं भरी
जो अचूक हैं दवा अशोक की ही छाल हैं
लाल, पीले रंग के खिले जो इसके फूल तो
यों लगे कि जैसे कोई मोतियों के थाल हैं
- रमा प्रवीर वर्मा
१ अगस्त २०१८ |
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