गर्मी जबसे जवाँ हुई है अमलतास बौराया है
फूलों की पगड़ी बाँधे वह मिलने उससे आया है
पुरवाई ने शायद उससे हँसी-ठिठोली की होगी
अमलतास ने दूल्हे जैसा अपना रूप बनाया है
जिन पेड़ों की किस्मत में है फूलों का शृंगार
नहीं
वे चिड़ियों से कहते हैं कि अमलतास पगलाया है
अमलतास को हँसते देखा तो सूरज हैरान हुआ
तेज़ धूप में हँसना उसको कुदरत ने सिखलाया है
पत्थर को भी पानी-पानी होते देखा तो समझा
अमलतास ने पत्थर को भी पानी आज बनाया है
अमलतास ने रोगों से अपना लोहा मनवाया था
आयुर्वेद में जगह-जगह पर ज़िक्र हमेशा आया है
अमलतास के फूलों का 'घायल' है कोई जोड़ नहीं
रंग निखर जाता है उसका जिसने उन्हें चबाया है।
राजेंद्र पासवान घायल
16 जून 2007 |