अमलतास अपूर्व शोभा की है
अलौकिक अद्भुत छटा
मन को लगता है,
ईश्वर ने प्रकृति को पहनाया झुमका
लहलहाती छनछनाती धूप में
जिसमें पिघल जाते सभी
ताज़गी परिपूर्ण फूलों से लदा
यह मंद नहीं होता कभी
सहजपन संचार का आधार इसका
चिर तरंगित सुनहला पीला रूप है।
दिव्य-दृष्टि समन्वितों का
स्वास्थ्यवर्धक औषधि
संजीवनी अनुरूप है
वन स्थलियों में एक रंजित गुलमोहर,
पलास फूलों की सतत होती होड़
सहज दृष्टि पर है पड़ती 'राम भरोसा'
अमलतास चितचोर की ओर
राम भरोसा सिंह
16 जून 2007 |