अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अमलतास






 

अमलतास
अपने सुरभित पीत प्रसून गुच्छ
किसी अनाथ बालिका के जन्म दिवस पर
उपहार स्वरूप दे देना।

अमलतास
अपने बासंती फूलों को सहेज कर रखना
संध्या समय लौटेंगे श्रमिक श्रम से चूर
उनके खुरदरे हाथों में इन्हें थमा देना।

अमलतास
अपनी सौंदर्यमयी सुवासित पंखुरियों को
स्वतंत्रता सेनानियों के स्मृति पथ पर
श्रद्धांजलि स्वरूप बिखरा देना।

अमलतास
उड़ा देना पवन में पांडु रंग पराग
परीक्षा भवन में जाते विद्यार्थियों के माथे पर
केसर तिलक लगा देना।

अमलतास
नव वधू नव देहरी पर रखे जब प्रथम पग
नव दंपति पर आशीर्वाद स्वरूप
प्रसन्नचित्त हो पुष्प वृष्टि करना।

अमलतास
रोगों से कृशकाय बूढ़े बापू के हाथों में
शुभकामनाओं की डोर से बाँध
अपने सुगंधित सुमन समर्पित करना।

अमलतास
होने को है दिवस का शेष
अपनी पुष्पित शाखाएँ लहराकर
अस्तगामी सूरज को विदा कहना।

मीना जैन
16 जून 2007

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter