आज चलो गाएँ ज़रा गीत अमलतास के
रतनारे मौसम के,
रंग के उजास के ।
अलसाई रात के, अंगड़ाती भोर के
नदिया के पानी में उठती हिलोर के
शरमाते चंदा के, रंगराते सूरज के
अंबर में उड़ते पंछियों के शोर के
आज चलो गाएँ ज़रा गीत अमलतास के
अमुआ के बागों के
हास-परिहास के ।
गीत कुछ तरुवर के, गीत गुलमोहर के
गीत कुछ पतझर के, गीत कुछ अंकुर के
गीत कुछ उपवन के, गीत कुछ मधुबन के
गीत कुछ देहरी के, गीत कुछ धरती के
आज चलो गाएँ ज़रा गीत अमलतास के
बरगद के, पीपल के
बांस के, कपास के ।
बादल के, मरुथल के, गागर के, निर्झर के
तृप्ति के, प्यास के, धूल के, गुलाल के
हहराते सागर के, नैया के, पायल के
खेत-खलिहान के, पगडंडी, चौपाल के
आज चलो गाएँ ज़रा गीत अमलतास के
राधा के, मोहन के
प्रेम के प्रयास के ।
डॉ. वर्षा सिंह
16 जून 2007
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