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जैसे फूले अमलतास

 

मैं मौन रहूँ
तुम गाओ
जैसे फूले अमलतास
तुम वैसे ही
खिल जाओ

जीवन के
अरुण दिवस सुनहरे
नहीं आज
तुम पर कोई पहरे
जैसे दहके अमलतास
तुम वैसे
जगमगाओ

कुहके जग-भर में
तू कल्याणी
मकरंद बने
तेरी युववाणी
जैसे मधुपूरित अमलतास
तुम सुरभि
बन छाओ

अनिल जनविजय
१६ जून २००७

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