आशा मोर
त्रिनिडाड से |
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माँ
माँ ने मुझको जन्म दिया, पिता ने मुझको पाला ।
भारत माँ का उपकार बड़ा है, सदैव गर्व से पहनाऊँ माला ।
भारत माँ की गोद छोड़कर, इस धरती माँ पर आई हूँ।
अपनी भाषा और संस्कृति की रक्षा करना,
यह संस्कार साथ में लाई हूँ।
पर भूली नहीं जननी माँ, भूली नहीं भारत माँ।
दोनों की ही याद सँजोए,
इस धरती माँ पर आई हूँ।
जैसे एक बेटी अपना मैका छोड़ ससुराल आई।
भारत माँ की गोद छोड़ मैं,
इस धरती माँ पर आई।
विदाई के वक्त हर माँ देती शिक्षा ।
बेटी अपने कुल की करना रक्षा ।
विदाई जब भारत माँ ने दी तो दी शिक्षा ।
बेटी अपनी भाषा और संस्कृति की करना रक्षा।
यदि आज कुछ भारत माँ के लिए कर सकूँ।
तो अपना जीवन सफल समझ सकूँ।
माँ सरस्वती से विद्या चाहिये, और चाहिये शक्ति माँ दुर्गा से
चाहिये है आशीर्वाद आप सबका,
कुछ कर सकूँ इस तन मन धन से ।
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