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नई हवा

उदीयमान रचनाकारों के स्तंभ में इस बार प्रस्तुत है पीलीभीत से शामिख़ फ़रहाज़ की रचनाएँ

शामिख फ़राज़

जन्म- २४ फरवरी १९८७ को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत ज़िले में।
शिक्षा- यू. पी. टेक्नीकल यूनिवर्सिटी से सम्बद्ध खंडेलवाल कॉलेज ऑफ़ मैनेजमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी बरेली (उत्तर प्रदेश) से कंप्यूटर ऍप्लिकेशन में परास्नातक के दूसरे वर्ष में।

सम्प्रति- कॉस्मिक डिजिटलस के नाम से पीलीभीत में ही ख़ुद का व्यवसाय।

कार्य क्षेत्र-   दिसम्बर २००७ से कविता लिखना शुरू किया। क्षेत्रीय अख़बारों अमर उजाला व दैनिक जागरण में कुछ लेख प्रकाशित और रचनाकार। ब्लागस्पाट पर कहानी व कविताएँ प्रकाशित।

मेरी रुचियाँ- डिजिटल इलेक्ट्रानिक्स में, दर्शन शास्त्र में, ऐतिहासिक नगरों को घूमना, इसके साथ ही मुझे सूक्तियाँ एकत्रित करने का एक अनोखा शोक है।

ई-मेल- shamikh.faraz@gmail.com  

  दो छोटी कविताएँ

तुम्हें पाना तो नामुमकिन है

दिन जब अपने घर को चला जाता है
तो काली साड़ी पहन के रात आती है
और मुझे तुम्हारे होने का
बैराग-सा हो जाता है
लेकिन अब तुम्हें पाना तो
कुछ ऐसे नामुमकिन-सा है
जैसे आकाश के सारे तारों को
उंगलियों पे गिनने की कोशिश

 

तुम्हारी याद

वह इक हाथ फिराना बालों में
वह नाम काढ़ना रूमालों में
कुछ बातें मध्यम से उजालों में
याद आता है आज भी
वह शख्स ख्यालों में
जो छोड़ गया है मुझको
अनसुलझे से सवालो में

१३ अक्तूबर २००८

 


 

 


 

 

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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