पीयूष दीप राजन
जन्म-
३० अगस्त १९७६
शिक्षा- दिल्ली विश्वविद्यालय से
स्नातकोत्तर
कार्यक्षेत्र-
ग्राफ़िक डिज़ाइनर, अनेक विधाओं में लेखन। कुछ रचनाएं
पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित।
ई मेल-
pd_rajan@yahoo.co.in
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दो गीत
एक
ज़िन्दगी एक महासंग्राम
पुकारता युग मत मानो हार
जीवन है यह पल दो–चार
इसमें भी है युद्ध अपार
किनारा है समुद्र के पार
पूर्ण करो नित
निज के काम
हार जीत का है आयाम
मेहनत करो नित खुलेआम
करो न तनिक भी तुम आराम
निज काम करो सुबह या शाम
अंततः चाहे
जो परिणाम
बढ़ा पग नित आशा के संग
मन भर के नित नयी उमंग
विजय लाये शत–शत नवरंग
खिला प्रसन्नचित अंग–अंग
अमर बना नित
निज का नाम
दो
बोल नहीं‚ ये बोल नहीं
बोल नहीं मेरी कविता के
कण–कण सागर से चुने हुए
जीवन के अमोलक
मोती है
जब जीवनधारा जहर बने
जंगल जब सारे शहर बने
कण–कण रोता–चिल्लाता हो
जीवन की शीतल
ज्योति है
जब आंखों से दुःख के नीर बहे
कसकते हृदय की पीर बढ़े
दुःख कोई सह ना पाता हो
सुख की सच्ची
रोटी है
असफलता पग की बाढ़ बने
जीत सभी की हार बने
अन्तरमन जब टूट पड़े
साहस की ऊँची
चोटी है
अमृत की पावन धारा है
ये जीवन मेरा सारा है
ये ही प्रीत‚ ये ही जीत
ये मेरे गीत‚ ये
मेरे गीत
२४ मई २००६ |