मयंक सिन्हा
जन्म- ११ मई १९८३ को श्रीनगर जम्मू
कश्मीर में।
शिक्षा- आर्मी इंस्टीटयूट ऑफ
टेक्नोलॉजी पुणे में तृतीय वर्ष मेकेनिकल इंजीनियरिंग में
अध्ययनरत।
साहित्यिक रुचि-
डा. हरिवंश राय बच्चन जी की कविताओं, प्रेमचंद की कहानियों और
अशोक चक्रधर एवं सुरेंद्र शर्मा के प्रशंसक।
अन्य रुचि-
साहित्य के अलावा खाली समय में किशोर कुमार के गाने सुनना पसंद
हैं। नवीं कक्षा में कविता लिखना आरंभ किया था जो कि आज भी
अनवरत जारी है।
ईमेल-
themayank@rediffmail.com
|
|
पाँच छोटी
कविताएँ
ऐ खुदा
ऐ खुदा इस जहाँ में किसी से प्यार ना करे कोई
ग़र करे भी तो मेरी तरह ऐतबार ना करे कोई
वो जो हर बार मेरे जख्मों को कुरेदते हैं
कभी उनके भी दिल पर वार करे कोई
वो जो दिलों को तोड़ कर मुस्कुराते हैं
उनके साथ भी यह खेल बार बार करे कोई
उनसे बिछड़ कर जो बीत रही है हमारे दिल पर
उन्हें सुन कर ना इसकी शिद्दत बेकार करे कोई
कौन कहता है कि प्यार एक ही बार होता है
दिलों का यह सौदा बीच बाज़ार करे कोई।
दिल में
दिल में जो सवाल है हर उस सवाल का ज़वाब तुम हो
आखें ग़र बंद भी कर लूँ तो दिल में बेहिसाब तुम हो
कल आईना जो देखा मैंने
अपना अक्स भी तुमसा नज़र आया
तुम्हीं कहो जमीं पर उतरी एक परी
या महज़ मेरा ख्वाब तुम हो।
रातों को ख्यालों की दुनिया यूँ सँवरती है
तस्वीर तेरी धुँधली सी बनती है बिगड़ती है
क्यों मानव होकर मैं धरती का यूँ चाँद पाना चाहता हूँ
होश नहीं मुझको चाँद के आगे क्या मेरी हस्ती है।
मौत
आँखें नम हैं साँसें कम है
है समां यह मौत का
मौत की हैं ये दीवारें
आशियाना मौत का
चंद लम्हे कुछ ही घड़ियाँ
काम होगा मौत का
मौत की जानिब चला
इक दीवाना मौत का।
सत्य
सत्य क्या है इस जहाँ में सत्यता की परिमाप क्या
पुण्य क्या है इस धरा पर और यहाँ पर पाप क्या
उदभव हुआ जो मानवों में तो सदा तू कर्म कर
क्या सही और क्या ग़लत है, है हमें यह ज्ञात क्या
जो सदा अपने दुखों के गीत ही गाया करें
कोई तो उससे भी पूछे, है दुखों की माप क्या
शाप समझ कर जीवन का जो अंत किया करते हैं
वो न समझेंगे कभी वरदान क्या और शाप क्या
सर्फ
तुम्हें
सूरज के निकलने से चाँद के ढलने तक
साँसों के चलने से धड़कन के थमने तक
दुनिया की हकीकत से आँखों के सपने तक
तुम्हें सिर्फ तुम्हें प्यार किया है।
मन की आरजू से दिल की हर ख्वाहिश तक
मेरे इस शरीर से तुम्हारी इस परछाईं तक
प्यार के हर शब्द से मौहब्बत के हर लफ़्ज तक
तुम्हें सिर्फ तुम्हें प्यार किया है।
मेरे इस इंतज़ार से तुम्हारे उस देर से आने तक
कभी तुम्हारे रूठ जाने से मेरे तुम्हें मनाने तक
इश्क की हर कहानी से चाहत के हर अफ़साने तक
तुम्हें सिर्फ तुम्हें प्यार किया है।
९ दिसंबर २००४
|