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अनुभूति में गिरिराज जोशी ''कविराज'' की रचनाएँ-

अस्तित्व
छुआछूत
दो लघु कविताएँ
मैं इंतजार करूँगा

 

मैं इंतजार करूँगा

मैं इंतजार करूँगा
तुम्हारे आने तक
नहीं
यह समय की बरबादी नहीं
दरअसल
इसके सिवा मुझे
कोई और काम ही नहीं
और मै जानता हूँ
तुम आओगे
यहीं मेरे घर पर

अभी तुम व्यस्त हो
मगर
जब तुम्हारे सारे कार्य निपट जाएँगे
तुम्हारे पास वक्त होगा
अपने लिए
तुम चाहोगे जी लेना
उसी में अपनी पूरी ज़िंदगी

तब
तुम्हे मस्ती सुझेगी
तुम्हारा बचपन लौट आएगा
और तब याद आएगी
तुम्हें
अपने बचपन के साथी की
तब तुम आओगे
मुझसे मिलने
मेरे पास

और उस समय
अगर मैं व्यस्त हुआ
तो तुम उदास हो जाओगे
तुम्हारे अंदर की सारी ऊर्जा
निष्क्रिय हो जाएगी
तुम्हारी सारी उमंग, सारी मस्ती
काफ़ूर हो जाएगी
और मैं
तुम्हे ऐसे नहीं देख पाऊँगा

इसी कारण
मै इंतज़ार करूँगा
तुम्हारे आने तक

9 मार्च 2007

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