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मीनाक्षी गोयल की दो कविताएँ

जन्म तिथि : 14 मार्च 1969

जन्म स्थान : बी. एच. ई. एल., हरिद्वार,

निवास स्थान : नई दिल्ली

शिक्षा : विज्ञान स्नातक

कार्यक्षेत्र :अध्यापन

रुचि : कविताएँ एवं लेख लिखने के अतिरिक्त पुस्तकें पढ़ने, संगीत एवं समाज सेवा में रुचि है।

ईमेल- goelmina@indiatimes.com
 

 

 

सच्ची आराधना

आज प्रभु की पूजा का मन हो आया,
मैंने एक दलित को पुजारी बनाया,
उससे एक छोटा-सा हवन, अनुष्ठान कराया,
अपनी ग़रीब, विधवा काम वाली से
उसमें अर्घ्य दिलवाया,
ब्राह्मण की जगह उन दोनों को भोजन कराया,
दुनिया ने कहा मैंने किया है भगवान का तिरस्कार,
लोगों ने किया मेरी पूजा का बहिष्कार,
किंतु, मै खुश हूँ
क्योंकि मैंने अपने आराध्य देव की
सच्ची आराधना की है।

 

आओ कुछ करें

मन की उमंगों से, आशा के रंगों से
आओ कुछ करें।

जीवन एक मेला है,
दो दिन का खेला है,
कुछ दिन की मस्ती है,
फिर तू अकेला है
जब तक ये साँसें हैं, ये दिन ये रातें हैं,
आओ कुछ करें।
इस जग के लिए कुछ अच्छा करें
आओ कुछ करें।

गर दिल में इच्छा है,
कुछ कर दिखाने की
आसां है मुश्किल सब,
मंज़िल को पाने की
अपनी दृढ़ शक्ति से, मेहनत की भक्ति से
आओ कुछ करें।
इस जग के लिए कुछ सच्चा करें
आओ कुछ करें।

हर दिल में ईश्वर है,
इसको पहचानो तुम
मज़हब को लड़ने का,
ज़रिया ना मानो तुम
दीनों की सेवा कर,
ईश्वर को पा लो तुम
दुखियों की सेवा को,
मज़हब बना लो तुम
ज्ञान की ज्योति से, मुस्कानों के मोती से
आओ कुछ करें
इस जग के लिए कुछ अच्छा करें
कुछ सच्चा करें
आओ कुछ करें
आओ कुछ करें।

24 मई 2007

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