साई कृष्ण
बंगलौर के सेंट
जोसेफ़ कॉलेज के बी कॉम प्रथम वर्ष के छात्र साई कृष्ण हिंदी और
अंग्रेज़ी कविताओं के अनेक अंतर्विद्यालयी कार्यक्रमों में
पुरस्कार जीत चुके हैं। कविता और कहानियाँ लिखना तथा वाद-विवाद
प्रतियोगिताओं को जीतना उनकी रुचि है।
संपर्क-
saikrishna2309@yahoo.co.in
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किससे माँगे अपनी पहचान
हिय में उपजी,
पलकों में पली,
नक्षत्र-सी आँखों के
अंबर में सजी,
पल दो पल
पलक दोलों में झूल,
कपोलों में गई जो ढुलक,
मूक, परिचयहीन
वेदना नादान,
किससे माँगे अपनी पहचान।
नभ से बिछुड़ी,
धरा पर आ गिरी,
अनजान डगर पर
जो निकली,
पल दो पल
पुष्प दल पर सजी,
अनिल के चल पंखों के साथ
रज में जा मिली,
निस्तेज, प्राणहीन
ओस की बूँद नादान,
किससे माँगे अपनी पहचान।
सागर का प्रणय लास,
बेसुध वापिका
लगी करने नभ से बात,
पल दो पल
का वीचि विलास,
शमित शर ने
तोड़ा तभी प्रमाद,
मौन, अस्तित्वहीन
लहर नादान,
किससे माँगे अपनी पहचान
सृष्टि! कहो कैसा यह विधान
देकर एक ही आदि अंत की साँस
तुच्छ किए जो नादान
किससे माँगे अपनी पहचान।
9 अक्तूबर 2007
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