कुंवर प्रीतम
जन्म- ३० अक्टूबर १९६५ को
राजलदेसर (जिला-चूरू) राजस्थान, भारत में।
कार्यक्षेत्र-
पिछले २८ वर्षों से पत्रकारिता में। सण्डेमेल, जनसत्ता जैसे
समाचारपत्रों में उपसंपादक एवं संवाददाता के दायित्वों का
निर्वहन करने के बाद सन २००१ से कोलकाता महानगर से सांध्य
दैनिक राष्ट्रीय महानगर का सम्पादन कर रहे हैं। पत्रकारिता के
साथ-साथ कविता, गीत, ग़ज़ल, मुक्तक आदि क्षेत्र में विशेष
रूचि। अनेक साहित्यिक सांस्कृतिक संस्थाओं में पदाधिकारी
सम्मान व पुरस्कार-
अखिल भारतीय मारवाड़ी युवा मंच द्वारा-१९९७ में,
राजश्री स्मृति न्यास द्वारा २००२ में, ३२२बी१ जिला लायन्स
क्लब से २०११ में।
ई मेल-
mahanagarindia@gmail.com
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मुक्तक
एक
मेरा दिल क्यों धड़क बैठा, ये
साँसें कंपकंपाई क्यों
तुम्ही ने कुछ किया होगा, हवाएँ तेज आई क्यों
अचानक क्यों महक आई, आकर छू गयी तन-मन
सिहर उट्ठा बदन मेरा, ये आँखें डबडबाई क्यों
दो
परिंदे रात में, ख्वाबों में
आकर गुनगुनाते हैं
नहीं मालूम मेरा गम या अपना गीत गाते हैं
गुटरगूँ उनकी सुनने को मैं जब भी कान देता हूँ
झुका कर शर्म से पलकें, परिंदे भाग जाते हैं
तीन
लगाना, तोड़ देना दिल, कहो
कैसी इनायत है
कभी मुझसे कहा क्यों था, मोहब्बत ही इबादत है
जो चाहो फैसला कर लो, मगर सुन लो हमारी भी
है मुजरिम भी तुम्हारा औ तुम्हारी ही अदालत है
२२ अगस्त २०११ |