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किशन साध

५ अगस्त १९५७ को उत्तर प्रदेश के फरुखाबाद जिले में जन्मे किशन साध का अपना व्यवसाय है। वे गजल और मुक्तक विधाओं में लेखन करते हैं।

उनकी रचनाएँ भारत की सभी प्रमुख पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहती हैं। फरुखाबाद के पाँच गजलकारों के संकलन- काँटों का सफर में संकलित।

ईमेल- kishansadh@ojooo.com

  मुक्तक

अपनी पलकें नहीं भिगोते हैं।
चैन से झोंपड़ी में सोते हैं।
ईंट कहना नहीं इन्हें हरगिज,
चाँद तारो को सर पे ढोते हैं।

खुद मिट गयी हिना तो ज़माने के वास्ते,
आया न कोई उसको बचाने के वास्ते,
पानी मिला मिला के सभी पीसते रहे,
अपनी हथेलियों पे रचाने के वास्ते।

इस जमीं आसमान से करना।
चाहे सारे जहान से करना।
मेरे जैसा वो सिर्फ दिखता है,
दोस्ती उससे ध्यान से करना।

अबकी बारी अषाढ़ टूटे हैं
मुश्किलों के पहाड़ टूटे हैं
मौत मंदिरों में घुस रही देखो
जिन्दगी के किवाड़ टूटे हैं।

१३ जनवरी २०१४

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