साधना ठकुरेला
जन्म- ६ मार्च १९६७ को हाथरस
में।
शिक्षा- स्नातक
प्रकाशित कृतियाँ-
कविता, गीत, लघुकथाएँ। कुछ पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित।
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नेकी कर के भूल
जा (कुंडलिया)
१
प्रभु तेरे इंसाफ में, होती कभी न चूक
इंसानों के कर्म का, न्याय करे दो टूक
न्याय करे दो टूक, कर्म का फल सब पाते
जन्म जन्म के कर्म, न छोड़ें अपने नाते
कहे ‘साधना' सत्य, जगत में लगते फेरे
भवसागर से तार, शरण हैं हम प्रभु तेरे
२
माता अपनी कोख से, मत जन ऐसा लाल
करे कलंकित कोख को, झुके देश का भाल
झुके देश का भाल, सभ्यता नष्ट करेगा
जाये यदि परदेश, शर्म से डूब मरेगा।
कहे ‘साधना' सत्य, समय हमको समझाता
करे सुसंस्कृत वत्स, कोख में से ही माता
३
रोगी, दीन, दरिद्र पर करो अनुग्रह आप
हरो कुटुम्बी स्वजन के, तुम सारे संताप
तुम सारे संताप, होय कल्याण तुम्हारा
गौरव बढ़ता जाय, बढ़ेगा भाईचारा
कहे ‘साधना' सत्य, वही है सच्चा योगी
हरे सभी के कष्ट, दीन हो या फिर रोगी
४
वाणी औ मन पर रखो, सदा नियंत्रण आप
स्वयं दूर हो जायेंगे, जीवन के संताप
जीवन के संताप, शीलनिधि लोग कहेंगे
आकर्षक व्यक्तित्व, धनी हम बने रहेंगे
कहे ‘साधना' सत्य, ठीक कब है मनमानी
मन पर कसो लगाम, सम्भलकर बोलो वाणी
५
शुक्ल पक्ष का चाँद है, भले व्यक्ति का नेह
कृष्ण पक्ष के चाँद सम, दुर्जन करें सनेह
दुर्जन करें सनेह, स्वार्थ से उनका नाता
पल पल घटता प्रेम, स्वार्थ यदि ना सध पाता
कहे ‘साधना' सत्य, प्रेम है राम कृष्ण का
बढ़ता रहता नित्य, चाँद ज्यों शुक्ल पक्ष का
४ मई २०१५
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