गाफिल स्वामी
जन्म-तिथि- २२ जुलाई १९५३ को
लालपुर (इगलास) में।
प्रकाशित कृतियाँ-
पत्र-पत्रिकाओं तथा संकलनों में काव्य -रचनाएँ प्रकाशित। एक
कृति 'जय हो भ्रष्टाचार की 'प्रकाशित'।
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कुण्डलिया
१
बाँटो जितना हो सके, प्रेम और मुस्कान।
सुख दुःख में भागी बनो, होगा सुखी जहान।
होगा सुखी जहान, समस्या हल हों सारी।
बढे आपसी प्रेम, बने जीवन सुखकारी।
कह 'गाफिल' कविराय, वक्त जैसा हो काटो।
मगर प्रेम, मुस्कान, हमेशा सबको बाँटो।
२
पी ले प्याला प्रेम का, मनुआ रहे प्रसन्न।
जिसने पीया प्रेम-रस, वही सुखी, संपन्न।
वही सुखी, संपन्न, प्रेम जो निशदिन बाँटे।
चलो प्रेम की राह, मिटें दुःख के सब काँटे।
कह 'गाफिल 'कविराय, जिन्दगी सुख से जी ले
जीवन होगा धन्य, प्रेम का प्याला पी ले।
३
नारी गुण की खान है, नारी बड़ी महान।
यह सारा संसार ही, नारी की संतान।
नारी की संतान, सभी यह महिमा गाते।
नारी के सौ रूप, जगत को सारे भाते।
कह 'गाफिल कविराय, जानती दुनिया सारी।
सुखी वही परिवार, जहाँ गुणवंती नारी।
४
मतलब का संसार है, मतलब का ही मेल।
रीति, नीति अरु प्रीति के, झूठे हैं सब खेल।
झूठे हैं सब खेल, सयानी दुनिया सारी।
सब मतलब के यार, करें मतलब से यारी।
कह 'गाफिल' कविराय, आचरण गंदा सबका।
परमपिता लाचार, ज़माना है मतलब का।
५
हँसते हैं सब लोग ही, औरों पर दिन-रात।
खुद पर हँसना सीख लें, बन जायेगी बात।
बन जायेगी बात, हँसी का रंग जमेगा।
अगर हँसोगे आप, ज़माना साथ हँसेगा।
कह 'गाफिल ' कविराय, हँसी में हरि जी बसते।
जीना है दिन चार, यार जी हँसते हँसते
४ मार्च २०१३ |