सुधीर
विद्यार्थी
जन्म-
१ अक्तूबर, १९५३ को पीलीभीत के एक गाँव में।
शिक्षा- एम.ए. इतिहास
प्रकाशित कृतियाँ-
'अशफाकउल्ला और उनका युग', 'उत्सर्ग', 'शहीद रोशनसिंह', 'शहीद
अहमदउल्ला शाह', 'आमादेर विप्लवी', 'मेरा राजहंस', 'कर्मवीर
पं. सुंदरलालः कुछ संस्मरण', 'काला पानी का ऐतिहासिक
दस्तावेज़', 'भगतसिंह की सुनें', 'हाशिया', 'पहचान बीसलपुर'
आदि डेढ़ दर्जन पुस्तकें प्रकाशित।
साहित्य-विचार की पत्रिका 'संदर्भ' का संपादन।
आत्मकथात्मक संस्मरण ‘मेरा राजहंस’ की एनएसडी सहित देश-भर में
नाट्य प्रस्तुतियाँ। ‘अशफाकउल्ला और उनका युग’ पुस्तक पर
आधारित ‘स्वराज्य’ का धारावाहिक डीडी-१ पर दो बार प्रदर्शन।
सम्मान व पुरस्कार-
क्रांतिकारी आंदोलन के इतिहास लेखन के लिए वर्ष १९७७ का
'परिवेश सम्मान'।
संप्रति-
स्वतंत्र लेखन एवं संस्कृति कर्म।
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नदी- सात छोटी कविताएँ
१-
नदी में उतरना चाहता हूँ
पर भीगना नहीं चाहता
संभव नहीं है बिना भीगे
उतर पाना किसी नदी में
भीगने से बचकर
नदी को जानना चाहती है
नई सदी।
२-
नदी बहती है
इसलिए खत्म नहीं होती
खत्म होने के लिए
नहीं बहती है नदी
बिना बहे खत्म होना
नदी का अपने विरुद्ध होना है।
३-
नदी आमंत्रण देती है
अपने साथ बहने का
नदी से मिलना
पानी की तरह
गतिवान और तरल हो जाना है।
४-
नदी टकरा रही है
चट्टानों से
पत्थरों के सीने पर
लिख रही है वह
बिना थके अपनी जीवन-यात्रा
दुर्गम स्थानों में
नदी का न रुकना
उसका आत्मकथ्य है।
५-
नदी में दिखाई पड़ रहा है
हमारा चेहरा
नदी का बयान
हमारे समय पर
क्रूर टिप्पणी है।
६-
नदी सिर झुकाए खड़ी है
चीख रही है नदी
रुदन कर रही है
क्या कोई सुन रहा है
नदी का उदास हो जाना।
७-
नदी की तरह
जीना चाहती है नदी
वह आदमी से डरकर
लौट जाना चाहती है
अपने आदिम समय में।
१ फरवरी २०१६ |