१
एहसान
एक एहसान कर दो
जाते जाते
समेट कर ले जाओ अपनी यादें।
आज जी भर कर सोना है मुझे
|
राम शिरोमणि
पाठक की क्षणिकाएँ |
२
महान
सम्मान बेचकर भी
ह्रदय अब तक स्पंदित है
आप महान हो
|
३
तकिया
अब बहुत अच्छी नींद आती है मुझे
पता है क्यों?
दर्द को ही तकिया
बना लिया मैंने |
४
सुकून
सुनो
आज के बाद
तंग नहीं करूँगा
चला जाऊँगा
बस एक बार क्षण-भर
आओ बैठो मेरे पास
तुम्हारे आने से
जिंदा हो उठता हूँ |
५
ज़िंदगी
अकेला
दुख के सन्नाटे से
लड़ रहा हूँ
तभी तो
आज फिर अकेला हूँ |
६
मंत्री भूखानंदजी
करोड़ों का माल गटक गए
सुना है आज फिर
भूख हड़ताल पे बैठे है |
७
पता है
पता है न
दर्पण सच बताता है
जब असत्य का दर्पण टूटेगा
खुद का विकृत चेहरा
क्या? देख पाओगे
३० मार्च २०१५
|
८
माँ
जब मै छोटा था
आप ही कहती थीं
मरने के बाद लोग
तारे बन जाते है
रात भर जागता हूँ
उदास तारों के बीच
खोजता रहता हूँ
एक हँसते तारे को
शायद!
किसी एक तारे में
मेरी माँ हँसती हुई दिख जाए |