रमेश चन्द्र शाह
१९३७ में अल्मोडा में जन्मे रमेश
चन्द्र शाह
हिन्दी के वरिष्ठ कवि कथाकार हैं। गोबर गणेश, किस्सा गुलाम,
पूर्व पर, आखिरी दिन, पुनर्वास जैसे उपन्यास और नदी भागती आई,
हरिश्चंद्र आओ जैसे कविता संग्रह के रचयिता रमेशचंद्र शाह
भोपाल में रहते हैं। उनकी अनेक रचनाएँ अन्य भाषाओं में अनूदित
हो चुकी हैं तथा वे अनेक पुरुस्कारों व सम्मानों से अलंकृत
हैं।
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तोते
उग रहा रक्त
उगते -उगते
चुग रहा रक्त
फल रहा रक्त
फलते फलते
चल रहा रक्त
दो पहर -पेड़
खिड़की पर खड़े -खड़े
सहसा
रुक गया वक्त
कहो
हवा से कहो
तुम्हारे खालीपन भरे
अंधेरे से कहो
तुम्हे नदी पार कराये
आसमान से कहो
तुम्हें मकान ढूंढ दे
सड़कों से कहो
तुम्हे काम पर लगा दे
शब्दों से कहो
..........
नहीं !
शब्दों से
कुछ मत कहो
जीवनी
सब अनर्थ है
कहा अर्थ ने
मुझे साध कर
तू अनाथ है
कहा नाथ ने
मुझे नाथ कर
इसी तरह
शह देते आए
मुझे मातबर
पहुचना घर
मगर उन्हें भी
मुझे लाद कर
पनपे खर -
पतवार सभी तो
मुझे खाद कर .
१४ जनवरी २००८
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