१-
रेखाओं की भी,
होती है एक इबारत,
पढ़ सको तो पढ़ लेना ।
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डॉ. रमा द्विवेदी
की पंद्रह क्षणिकाएँ
रेखाएँ
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२-
रेखाएँ!
सोच-समझ कर खींचना
ये अभिशाप भी बन सकती हैं
और
वरदान भी । |
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३-
हस्त रेखाएँ,
बताती हैं भाग्य, लेकिन
क्या कोई सच में,
इन्हें पढ़ पाया है।
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४-
भाग्य रेखाएँ
यदि कोई पढ़ पाता
तब हर किसी का भाग्य,
सौभाग्य होता|
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५-
रेखाओं का समीकरण,
अक्षर की व्युत्पत्ति,
शब्द निर्माण,
और शब्द रचते हैं, गीता,पुराण,
महाकाव्य और महाभारत। |
६-
एक लक्ष्मण रेखा,
क्या लांघी?
सीता हरण हो गया,
भयंकर राम-रावण युद्ध,
एक युग का अन्त। |
७-
रेखाओं का जाल,
उलझती जीवन शैली
का मापदंड। |
८-
समानान्तर रेखाएँ
किसी को काटती नहीं,
इसलिए जीवन का बीजगणित,
अर्थवान हो उठता है। |
९-
मेहनत!
भाग्य रेखाओं को,
नया मोड़ दे देती है। |
१०-
जीवन का समीकरण,
सिर्फ
भाग्य रेखाओं से
नहीं बनता। |
११-
रेखाएँ!
सीधी,आडी,तिरछी,
खींच कर देखिए,
कभी- कभी,
कुछ महत्वपूर्ण बन जाता है। |
१२-
रेखाओं को यूँ ही
व्यर्थ मत करो,
क्योंकि यही रेखाएँ
होती हैं सभ्य संस्कृति
और सभ्य समाज की
धरोहर। |
१३-
संसार भर की
भाषाओं एवं लिपियों
का विकास
रेखाओं के संतुलन पर
टिका है।
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१४-
रेखाएँ ,
नदी के दो किनारे जैसी हों,
और रिश्तों के बीच बहती रहे,
मिठास, स्नेह और आत्मीयता।
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१५-
रेखाओं की संवेदना को,
कठोर न बनने दें,
नहीं तो,
मनुष्यता नष्ट हो जाएगी। |