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मिथिलेश दीक्षित

जन्म- १ सितंबर १९४६ को इटावा उ.प्र. में
शिक्षा- स्नातकोत्तर उपाधि हिंदी एवं संस्कृत में तथा पीएच. डी. हिंदी में।

कार्यक्षेत्र- अध्यापन एवं साहित्य सृजन। साहित्य एवं शिक्षा में आस्थावादी विचारधारा और मानवीय मूल्यों की पक्षधर। अनेक पत्र पत्रिकाओं की संरक्षक एवं परामर्शक। शोध समीक्षा निबंध, हाइकु, मुक्त एवं क्षणिका आदि विधाओं में सक्रिय। अनेक सम्मानों व पुरस्कारों से सम्मानित।

प्रकाशित कृतियाँ-
क्षणिका संग्रह- उगते सूरज का अहसास, उगती दूब उभरते अक्षर, धूप की तरह, सिंधु सीपी में, एक स्वर और भी, सच की तलाश, बर्फ के पिरामिड, धूप और दीप।
सेदोका संग्रह- खुशबुओं की बात
हाइकु संग्रह- रस छलके
संपादित संग्रह- जले सुधि के दीप तथा क्षणिका काव्य के हस्ताक्षर।

संप्रति- स्नातकोत्तर महाविद्यालय शिकोहाबाद से हिंदी विभाग की रीडर एवं विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त होने के बाद स्वतंत्र लेखन।

ईमेल- mithilesh.dixit46@gmail.com

 

 

  क्षणिकाएँ


हैं पृथक सब रूप
लेकिन एक लय में
है समाया
प्रेम का सौंदर्य
मानव के हृदय में

२.
प्रेम-करुणा की
बहाता धार
ममता से भरा
यह हृदय उच्च, उदार
फिर क्यों
मान जाता हार!

३.
शब्द में
तुम बोलते थे
आज तुम
नयनों से बोले
होश में
क्या आ गये हम
ज़िन्दगी ने
राज़ खोले!
४.
हंस हँस दे
कल
न जाने
काल क्या कर दे!
५.
जन्म दे
जीवन सजाती
घर से संसद तक
चलाती,
फिर भी ‘अबला’!
आज के उत्कर्ष में भी
क्यों भला?
६.
उस समन्दर में
अगर हम
झाँक पायेंगे
तो निश्चित ही
किसी से कम
न खुद को
आँक पायेंगे!
७.
एक पल में
तोड़ डाला
नीड़ किसने
इस बया को
तिनका तिनका
जोड़ते गुजरे महीनों

१ सिंतंबर २०१८

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