वासंती झोंका
उसने जूड़े में फूल खोंस लिये
फूले पलाश जैसा चांद
दहक उट्ठा
किसी दुर्घटना के कारण
सारे का सारा मौसम
खुशी में बदल गया सहसा
— रवीन्द्रनाथ त्यागी |
क्षणिकाएँ
विभिन्न रचनाकार |
संक्षेप
निःशब्द मरना और झरना
अलग रह कर
नहीं होता है बार बार
किंतु साथ रह कर
होता है।
— मणि मधुकर |