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वासंती झोंका

उसने जूड़े में फूल खोंस लिये
फूले पलाश जैसा चांद
दहक उट्ठा
किसी दुर्घटना के कारण
सारे का सारा मौसम
खुशी में बदल गया सहसा
— रवीन्द्रनाथ त्यागी

क्षणिकाएँ
विभिन्न रचनाकार

संक्षेप

निःशब्द मरना और झरना
अलग रह कर
नहीं होता है बार बार
किंतु साथ रह कर
होता है।

— मणि मधुकर

 

मिलन

छुओ छलको
मिलो मुझसे गीत गाकर
मिले जैसे नदी सागर
पास आकर।

—केदारनाथ अग्रवाल

 

जान लिया

जब दिल ने दिल को जान लिया
जब अपना सा सब मान लिया
तब गैर बिराना कौन बचा
यदि बचा सिर्र्फ तो मौन बचा।

— प्रभाकर माचवे

 

 सपने

है कोई बाजार
जहां प्यार खरीदा जाये
सतरंगी सपनों को
आकार दिया जाये

— कविता सिन्हा

 

वसंत
 
उसने
इन्द्रधनुषी रंगों से
भरी तूलिका,
वसन्त रंगी उषा में —
जाग उठी यह धरा।
 
— सुमनकुमार घई
 

 

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