दीपक गोस्वामी
जन्म- २३ सितम्बर १९५४ को चुरु, राजस्थान में।
शिक्षा- इंजीनियरिंग में स्नातक, तथा एमबीए।
कार्यक्षेत्र- आईटी कंपनी में कार्यरत होने के साथ साथ साहित्य एवं लेखन में रुचि।
वे एक ब्लॉग भी प्रकाशित करते हैं।
ईमेल: dkgoswamy@gmail.com |
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दीपक
गोस्वामी की क्षणिकाएँ
१.
लहू
लहू
सड़क पर बहा
फिर बहा, बहता रहा
बहता रहा, जमता रहा, सूखता रहा
न कोई फल, न कोई फूल, न कोई पंछी, न परिंदे
और इस तरह एक सभ्यता उजड़ गई।
२.
जड़ें
जड़ें
दिखी नहीं, बच गईं
फूल कुम्हला गए, पत्तियाँ झर गईं
सूखे ठूँठ रह गए, कट गए
लताएँ झुलस गईं, कीट मरे, पक्षी उड़ गए
वृक्ष के साथ जो एक भरा पूरा कुनबा था, अब उजड़ गया
और इस तरह ये हरी भरी फलती फूलती वसुंधरा
निर्जीव और वीरान बन गई
३.
धर्म की परिभाषा
उसने कहा ‘मैं बड़ा ,तू छोटा’,
इसने कहा ‘तू छोटा, मैं बड़ा’,
फिर जो होता है वो ही हुआ, दोनों भिड़ गए,
लड़ते रहे निरंतर लड़ते रहे,
और इस तरह धर्म की परिभाषा गढ़ी गई
१ अगस्त २०२२ |