बालकृष्ण गुप्ता
गुरु
जन्म- ३१ दिसंबर १९४६ को खैरागढ़
(छत्तीसगढ़) में
शिक्षा - बीएससी, एमए
कार्यक्षेत्र-
हायर सेकेंडरी स्कूल के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्ति के बाद
समाजसेवा में सक्रिय
प्रकाशित कृतियाँ-
'गुरु-ज्ञान; आईना दिखातीं लघुकथाएँ' (लघुकथा संग्रह),
'खैरागढ़; यादों का वर्तमान' (गृहनगर पर संस्मरणों के संकलन का
संपादन), 'सकारात्मक लघुकथाएँ' (ई-बुक),
पुरस्कार व सम्मान - अनेक स्थानीय और प्रादेशिक संस्थाओं
द्वारा सम्मानित
संप्रति- स्वतंत्र लेखन
संपर्क- ggbalkrishna@gmail.com
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क्षणिकाएँ
१
कहना मुश्किल
आदमी साँस ले रहा है
मर रही आदमियत है
कहना मुश्किल
कौन महत्वपूर्ण है
२
पूर्ण सम्मान
हरी-भरी वसुन्धरा
भगवा आसमान
बीच सफ़ेद चादर में लिपटा सो रहा इंसान
कहना मुश्किल
राष्ट्र ध्वज को मिल रहा पूर्ण सम्मान
३
माँ
एक-एक कौर प्यार से खिलाती
प्रसन्न हो एक-एक घूंट पानी पीती जाती
बचा तो खाती
प्रसाद से पेट भरता है
दुनिया को बताती
४
जमाना
भीड़ में से एक बच्चा
महापुरुष के पदचिन्ह पर खड़े होकर
अपने पैर मिला रहा था,
बाकी मुस्कुरा रहे थे
पास आ-जा रहे थे
५
ख्याति
रोया तू
मुस्कुराया आस-पास
मुस्कुराया तू
रोया आस-पास
भीड़ में एक खास
६
काले अक्षरों
के बहाने
टेबल पर खुली किताब
क़िताब के चश्मे से देखता हूँ
उजली दुनिया को
हर आदमी के शरीर में चिपके काले अक्षर
अक्षरों से बने शब्द,
पढ़ पाता हूँ प्रयास से
बस काली चीटीं
बाकी भैंस बराबर
१ जून २०२३ |