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काव्य संगम  काव्य संगम के इस अंक में प्रस्तुत हैं संस्कृत के समकालीन कवि शास्त्री नित्यगोपाल कटारे के व्यंग्यात्मक शैली में लिखे गए हाइकु हिंदी अनुवाद के साथ।
संस्कृत हाइकु

अपमानित
सर्वदा क: देवता?
पति देवता।

पत्नी समक्षे
अहर्निशं पतति
कथ्यत् पति:।

ददाति सदा
आचरेण रोटिका:
सदाचारिणी।

अरुचिपूर्ण:
केवल सुदर्शन:
स्वरुचि भोज:।

या निज पति
व्रत कारयति-सा
पतिव्रतास्ति।

 

हिंदी अनुवाद

अपमानित
सदा कौन देवता?
पति देवता।

पत्नी सामने
बार-बार पतित
होता है पति।

खिलाती सदा
अचार से रोटियाँ
सदाचारिणी।

अरुचिपूर्ण
देखने में सुंदर
स्वरुचि भोज।

पति को रोज़
व्रत कराती वह
पतिव्रता है।

9 जनवरी 2005

9 janavarI 2005

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