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काव्य संगम काव्य संगम के इस अंक में प्रस्तुत है अलेक्सान्दर पूश्किन की रूसी प्रेम कविताओं का हिंदी रूपांतर। हिंदी रूपांतरकार हैं अनिल जनविजय।

अलेक्सान्दर पूश्किन

 

  प्रेमपत्र को विदाई

विदा, प्रिय प्रेमपत्र, विदा, यह उसका आदेश था
तुम्हें जला दूँ मैं तुरन्त ही यह उसका संदेश था

कितना मैंने रोका ख़ुद को कितनी देर न चाहा
पर उसके अनुरोध ने, कोई शेष न छोड़ी राह
हाथों ने मेरे झोंक दिया मेरी ख़ुशी को आग में
प्रेमपत्र वह लील लिया सुर्ख़ लपटों के राग ने

अब समय आ गया जलने का, जल प्रेमपत्र जल
है समय यह हाथ मलने का, मन है बहुत विकल
भूखी ज्वाला जीम रही है तेरे पन्ने एक-एक कर
मेरे दिल की घबराहट भी धीरे से रही है बिखर

क्षण भर को बिजली-सी चमकी, उठने लगा धुआँ
वह तैर रहा था हवा में, मैं कर रहा था दुआ
लिफ़ाफ़े पर मोहर लगी थी तुम्हारी अंगूठी की
लाख पिघल रही थी ऐसे मानो हो वह रूठी-सी

फिर ख़त्म हो गया सब कुछ, पन्ने पड़ गए काले
बदल गए थे हल्की राख में शब्द प्रेम के मतवाले
पीड़ा तीखी उठी हृदय में औ' उदास हो गया मन
जीवन भर अब बसा रहेगा मेरे भीतर यह क्षण।।

गायक
(येकेतिरिना बाकूनिना के लिए)

सुनी क्या तुमने जंगल से आती आवाज़ वो प्यारी
गीत प्रेम के, गीत रंज के, गाता है वह न्यारे
सुबह - सवेरे शान्त पड़े जब खेत और जंगल सारे
पड़ी सुनाई आवाज़ दुखभरी कान में हमारे
यह आवाज़ कभी सुनी क्या तुमने?

मिले कभी क्या घुप्प अंधेरे जंगल में तुम उससे
गाए सदा जो बड़े रंज से अपने प्रेम के किस्से
बहे कभी क्या आँसू तुम्हारे मुस्कान कभी देखी क्या
भरी हुई हो जो वियोग में ऐसी दृष्टि लेखी क्या
मिले कभी क्या तुम उससे?

साँस भरी क्या दुख से कभी आँखों की वीरानी देख
गीत वो गाए बड़े रंज से दे अपने दुख के संदेश
घूम रहा इस किशोर वय में जंगल में प्रेमी उदास
बुझी हुई आँखों में उसकी अब ख़त्म हो चुकी आस
साँस भरी दुख से क्या कभी तुमने?


सब ख़त्म हो गया
(ओदेस्साई कन्या अमालिया रीज़निच के लिए)

सब ख़त्म हो गया अब हममें कोई सम्बन्ध नहीं है
हम दोनों के बीच प्रेम का अब कोई बन्ध नहीं है
अन्तिम बार तुझे बाहों में लेकर मैंने गाए गीत
तेरी बातें सुनकर लगा ऐसा, ज्यों सुना उदास संगीत।

अब ख़ुद को न दूँगा धोखा, यह तय कर लिया मैंने
डूब वियोग में न करूँगा पीछे तय कर लिया मैंने
गुज़र गया जो भूल जाऊँगा, तय कर लिया है मैंने
पर तुझे न भूल पाऊँगा, यह तय किया समय ने

शायद प्रेम अभी मेरा चुका नहीं है, ख़त्म नहीं हुआ है
सुन्दर है, आत्मीय है तू, प्रिया मेरी अभी बहुत युवा है
अभी इस जीवन में तुझ से न जाने कितने प्रेम करेंगे
जाने कितने अभी मर मिटेंगे और तुझे देख आहें भरेंगे।

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