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संतोष अलेक्स
की चार मलयालम कविताओं का हिंदी अनुवाद
स्वयं कवि द्वारा


प्रेमगीत

हमारे प्यार से
सहपाठियों को ईर्ष्या थी
आम प्रेमियों जैसा
हमने कुछ नहीं किया
इसलिए
आज भी हम प्यार करते हैं
मेरा अपना परिवार है
उसका भी

मोबाइल

पार्क की बेंच पर
वह अकेला था
उससे निकले संगीत ने
सभी का मन मोह लिया
वह जल्दी ही
आकर्षण का केन्द्र बन गया

एक ने सोचा
भीड़ कम होने पर उसे उठा लेंगे
दूसरा उसे चुराने की योजना बना रहा था

इन सबको पीछे छोड़
एक नन्हें ने बेंच की और बढ़ते हुए कहा
यह मोबाइल है।

उसके छूते ही
विस्फोट हुआ
आकाश मे एक नया
तारा जुड़ गया

 

सही समय

मनुष्य मनुष्य
मनुष्य व कविता
मनुष्य व आलोचकों के बीच के फर्क
को समझा तो
उन लोगों ने मुझ पर वार किया

ऊँचा व नाटा
गोरा व साँवला
खामोशी व आवाज के बीच के फर्क
को समझा तो
उन लोगों ने मुझ पर फिर वार किया

वार करने का सही समय
फर्क जानने पर होता है।

तैयारी

यह एक प्रकार का बदलाव है न

मंच पर नाचनेवाले ने
तैयारी की थी न

फिर क्यों हम उसके जैसा
नाच नहीं पाते

हमने जैसी तैयारी की
वैसे ही वह भी तैयार होता तो
उसे हमारे जैसे
दिन ब दिन
तैयार होना पड़ता

 

२१ दिसंबर २००९

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