सतीशचंद्र
उपाध्याय
जन्म- ९ जुलाई
सन १९५६ को अलीगढ़, भारत में
शिक्षा- वनस्पति विज्ञान में स्नातकोत्तर
कार्यक्षेत्र-
कृषि अनुसंधान संबंधित। हिंदी से विशेष प्रेम होने के कारण कुछ
स्वतंत्र लेखन। कादंबिनी में समस्यापूर्ति स्तंभ मास मई १९९६
में प्रथम पुरस्कार से सम्मानित। संस्थान के हिंदी चेतना मास
में आयोजित होने वाली विभिन्न प्रतियोगिताओं में सन १९९३ से
लगातार सम्मानित। साहित्य के अतिरिक्त विज्ञान, ज्योतिष
शास्त्र, वास्तु शास्त्र, आध्यात्म आदि विषयों में रुचि।
संप्रति-
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली १२ में तकनीकी अधिकारी
के पद पर कार्यरत।
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तीन कुंडलिया
और एक छोटी कविता
नारी गुण की खान
नारी गुण की खान है कर लीजे गुणगान
घर में रोटी ना मिले औ' बाहर सम्मान
औ' बाहर सम्मान, हाथ में रखती चाबी
फेल कर दिए आप, ज्ञान सब हुआ किताबी
कह चंदर कविराय, कहे यह दुनिया सारी
देवों में है पूज्य, पूज लो घर में नारी
रंग हमारे
रंग हमारे देश के, लिये विविधता संग
गुथे पुष्प यों माल में, ज्यों शरीर में अंग
ज्यों शरीर में अंग, विविधता वाली बोली
जुड़े रहें इक संग, बरसती चाहे गोली
कह चंदर कविराय, देश सब जानें सारे
चढ़ जाएँ इक बार, न उतरें रंग हमारे
ममता
ममता से है जग बँधा, बिन ममता सब सून
ममता जब मन से हटे, दुश्मन होता खून
दुश्मन होता खून, मात निज सुत दुलराती
चुभे शूल भी पाँव, मात की फटती छाती
कह चंदर कविराय, एक ही जग में समता
जहाँ-जहाँ शिशु-बाल, है वहाँ माँ की ममता
पदार्थवाद
न जाने जीवन का मंतव्य
न जाने क्या होगा गंतव्य
बनाने अपना जीवन भव्य
भूलकर जीवन मूल्यों को
निरंतर रहे जोड़ते द्रव्य
१६ अप्रैल २००५
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