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ममता गोयल

अर्थशास्त्र में एम ए ममता गोयल की कहानियाँ और कविताएँ लिखने में रुचि है।
विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं और आकाशवाणी से उनकी रचनाएँ प्रकाशित - प्रसारित हो चुकी हैं।

 

 

पड़ाव

एक बच्ची उम्र 
रेत से चिकने पत्थर शंख चुनती
लहर के साथ सरकती रेत 
तलुओं को गुदगुदा देती।

एक किशोर उम्र 
बाग से कोमल रंगीन फूलों से आँचल भरती
हवा के परों पर तैरती महक
ऊपर से नीचे तक भिगो देती।

एक उम्र-दराज़ उम्र
खुद से ही बातें करती
जगती आँखें सपने बुनतीं 
अकेले में खुद से ही शरमा जाती।

एक उम्र-दराज़ उम्र
धुँधली आँखों फूली साँसों के साथ
बरामदे में बैठी लाठी टिका
उम्र का सफर देखती रह जाती।

पानी और किनारे 

पानी के दिल से उठती हर लहर
तट के सीनों में समा जाती
और तट उसे सीने में सँजो लेता
हर लहर उन दोनों की थाती बन जाती
दोनों और करीब आ जाते 
पानी और किनारे
किनारे न हों तो पानी की सीमा कहाँ
फिर उसका सृजन जीवन सब
मृत्यु ताण्डव हो जाता
और यदि पानी नहीं
तट का क्या महत्व
वह किसका बंधन किसका साथी
दोनो हाथ पकड़ साथ-साथ चलते
लहर-लहर बतियाते 
फेन फेन खिलखिलाते
कहीं रेतीला तट तो कहीं हरा-भरा किनारा
कहीं पथरीला किनारा तो कहीं बर्फीला
पर कुछ भी हो साथ न छूटता
लहर-लहर गुनगुनाते मचलते-इठलाते 
बातें करते चलते जाते...चलते जाते...

१६ अप्रैल २००१

 

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