हँसिकाएँ
श्रीमती जी ने इन दिनों
स्वच्छता सप्ताह मनाया है
शुभारंभ के तौ र पर
पति की जेब को अपनाया है।
नारी स्वतंत्रता को
पुरुष ने खूब भुनाया।
अपनी नौकरी उन्हें दी
उनकी पगार को अपनाया।
जैसे ही पतिदेव ने
ओवर टाइम का मन बनाया।
पत्नी ने की घर की सफाई और
बर्तनों का ढेर उन्हें थमाया।
आजकल की आधुनिकता का
क्या गजब अंदाज है
मरती जा रही है सभ्यता
बेहूदगी का राज है।
२६ अक्तूबर २००९
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