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ऐलर्जी टैस्ट
मुझ से बोली मेरी बीवी
सुनो कहता है डाक्टर जी
कि मुझ को है ऐलर्जी
मैं चौंका? चक्कराया
बोला? पति-पत्नी के झगड़े में
ये डाक्टर कहाँ से टपक आया
अब इन छुटपुट झगडों के बाद
सलाह तुम गर जा डाक्टर से लोगी
तो फिर आपस में बस
एक दूसरे के लिये ऐलर्जी ही तो होगी।
फिर पति-पत्नी में आखिर
और हो ही क्या सकता है जी
कहाँ क्षमा? कहाँ धैर्य
कहाँ प्रेम की होती मर्ज़ी
बोली वो झुंझला कर
माथे पर बल चढ़ा कर
मैं पछताई तुम से ब्याह कर
अपना ही राग सुनाते हो
कहने को तो डाइटिंग पर हो
पर मेरा भेजा खा जाते हो।
पहले मेरी सुन तो लो
फिर जो जी में आये कहो।
मैं कल शिमला जा रही हूँ।
स्टेशन से टिकट बुक
करवा कर ही आ रही हूँ।
मैंने कहा-
अभी ही तो आई हो पीहर से
फिर से जाने का विचार आया किधर से
दरअसल रहना तो तुम वहीं चाहती हो
यहाँ तो बस चन्दा लेन ही आती हो।
और हम उल्लू बस यों ही जिये जा रहे हैं
अपनी कमाई चन्दे में दिए जा रहे हैं।
उस पत्नी को जो किसी डाक्टर को पटा कर
आती है घर यह लिखवाकर
कि उसे हम से ऐलर्जी है।
उसने एक लम्बी साँस ली अपना माथा दबाया
और निकाल कर पर्स से
एक कागज़ मुझे थमाया।
फिर कहने लगी
मुझे ऐलर्जी 'डस्ट' से है न कि तुम से
कौन माथापच्ची करे नाहक उल्लू की दुम से।
डाक्टर ने कहा है 'धूल से दूर रहो'
इसीलिए शिमले जा रही हूँ।
कहो अब क्या कहना चाहते हो
बात तो समझ नहीं पाते हो
जो मन में आये बके जाते हो
मैं कब से समझा रही हूँ।
मैंने कहा-
ऐलर्जी का कारण यदि धूल है तो
मेरा तो कुछ भी कहना फिज़ूल है।
समझता हूँ मैं खूब 'डस्ट ऐलर्जी' के माने
वाकई तुम्हारे डाक्टर साहब हैं काफी सयाने।
जानता हूँ कहा होगा उसने तुम्हें क्या
'आज से भूल जाओ झाड़ू और पोंछा'
सर्फ सोडा 'अवौएड' करो
दूर करो चूल्हा और चौंका।
डाक्टर से मिल कर
मैं पूछना चाहता हूँ
कि इन चीज़ों को हाथ लगाकर
अगर मेरी बीवी मरेगी
तो मेरे घर का काम क्या
उस साले की माँ करेगी
न जाने कहाँ-कहाँ से आ जाते हैं
जेबें भी काटते हैं
और ऊपर से ऐलर्जियाँ बताते हैं।
और किन-किन चीज़ों की
उसने ऐलर्जी बतायी है
सच-सच कहो रिश्ते में
क्या वो तुम्हारा भाई है
अगर योंही वो ऐलर्जी टैस्ट
करता रहेगा
तो हर शरीफ़ पति तो
रसोई में ही मरता रहेगा।
सज्जनो, भावी पतियों की खुशामदी के लिये
मैने बनाया नया उसूल है।
शादी ब्याह की कुण्डली मिलाना फिज़ूल है।
ऐलर्जी टैस्ट करवाना ही
सफलता का मूल है।
यदि कन्या की ऐलर्जी का कारण धूल है
तो उसके लिये शादी करना ही भूल है
वैसे तो शादी करवाना ही भूल है
पर आदमी मानता नहीं
कमबख्त 'ब्लडी-फूल' है
दोस्तो शादी में नोक-झोंक, सुलह-तकरार
कभी कहा-सुनी, कभी प्यार
तो बदलते मौसम संग बदलते
पत्तों के रंगों का निखार है।
विभिन्नता के रंगों से ही तो
उस रंगराज ने रंगा यह संसार है।
यही रंग मेरे तुम्हारे जीवन को सजाते
बनते प्रेम के गीत मधुर कहीं
और कहीं हास्य कविता बन जाते।
२४ जून २००५ |