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वर्षा हाइकु

 


फैली नभ में
सुरमें की डिबिया
मयूर झूमें

बजे मृदंग
चमकी बिजुरिया
थिरकी वर्षा

- ज्योतिर्मयी पंत

सावन आया
मैंने शब्द उगाये
तुम्हारे लिए

- डा. जितेन्द्र प्रसाद माथुर

मोती-सी बूँदें
मुखड़े को चूमतीं
धरा झूमती

- डॉ रमा द्विवेदी

आकाश मंच
तैरते हिमखण्ड
नाचती बूँदें

उड़े कपास
धरती की पुकार
आई फुहार

- उमेश मौर्य

वर्षा की बूँदें
शांत वातावरण
पत्तों पे ठहरी

- अमन चाँदपुरी

उड़ रहे हैं
छतरियों के गीत
गली-कूचों में

उफन पड़े
ख़ूब सुनी खेतों ने
बूँदों की आल्हा

सिसकी साँझ
जुड़ गई वन में
बगुला सभा
 
- अश्विनी कुमार विष्णु



हुई बीमार
वर्षा में भीगकर
कच्ची दीवार

- अभिषेक जैन

चिंहुक उठा
ठूँठ का अंतर्मन
फूटी कोंपल

- गुंजन अग्रवाल

बिजली तार
वर्षा बूंदों की रेल
चली जा रही

- आभा खरे


तूफानी वर्षा
खिड़की दरवाज़े
मचाते शोर

- शशि त्यागी



कुछ जज़्बात
काले बादलों जैसे
छाए मन में।

एक भावना
उभर कर आई
बरस गई।

गीली आँखें
कर गई मन को
हल्का हवा-सा।

- लक्ष्मीनारायण गुप्त

रोए पर्वत
चूम कर मनाने
झुके बादल

हल्की फुहार
रिमझिम के गीत
रुके न झड़ी

बादल संग
आँख मिचौली खेले
पागल धूप

प्रकोपी गर्मी
मचा उत्पात अब
शांत हो भीगी

झुका के सर
चुपचाप नहाए
शर्मीले पेड़

बदरा तले
मेंढक की मंडली
जन्मों की बातें

ओढ़ कंबल
धरती आसमान
फूट के रोए

- मानोशी

वर्षा ने छुआ
झुर्री भरी दीवार
सिसक उठी

नभ में दौड़े
बन ठन बादल
आवारा छोरे

लाये बदरा
परदेशी का ख़त
भीगा भीगा सा

- सुनीता अग्रवाल

धरा सिसकी
उमड़ते बदरा
गिरती बूंदें

- शांति पुरोहित


 

२७ जुलाई २०१५

वर्षा जल में
चलने लगी नावें
बच्चों के हाथ

- सन्तोष कुमार सिंह

चाहा था मैने
रस भीगा मौसम
न कि उमस

झूलें क्या झूला
सावन का मौसम
आग बबूला

- केशव शरण

हँसती बूँदें
बूढी छतरी देख
आस तोड़ती

- विभारानी श्रीवास्तव

आँधी पानी है
गाँव गिरांव चले
बेबस छाता

- राजेंद्र मिश्र



पहली बूँद-
माटी से आने लगी
सोंधी महक

- राजेंद्र वर्मा

यादों की वर्षा
गिरकर टूटते
बूँदों के मोती

बढ़ा जो कभी
यादों का तापमान
बरसी आँखें

- बुशरा तबस्सुम

आई बरखा
खेत मुस्कुराए हैं
खिले चहरे

- अब्दुल समद राही

झेलते सदा
वर्षा का असंयम
जख्मी पहाड़

- दिनेश चन्द्र पाण्डेय

चींटा खे रहा
बारिश के पानी में
मुन्ने की नाव

- एस डी तिवारी

नगाड़े बजे
लिए बूंदों की सेना
बादल भागे

मेघों की डोली
आई वर्षा दुल्हन
कहार हवा

- राजीव गोयल

झूमे है धरा
पाँवों बूँद पायल
रास है रचा

- अनिता कपूर
 

खेतों में नाची
उल्लासित मयूरी
बदरा छाए

-पुष्पा सिंघी



काँप रही है,
बारिश में तितली
फूल पे बैठी

- रीता ठाकुर

प्रेमी बादल
मुग्ध हुई धरती
बरसा नेह

- त्रिलोक सिंह ठकुरेला

मेघ मल्हार
रिमझिम झांझर
नाचे मयूर
अलका गुप्ता
 

वर्षा के बाद
पत्ते सुखाता पेड
नाचती बूँदे

- प्रिन्स मंडावरा

महकी मिट्टी
सुगंध फैला रही
आई बरखा

- आशा पाण्डेय

मेघ मल्हार
सुनकर भागे हैं
धूप के छंद

- महेंद्र वर्मा "धीर"


 

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