वसंत के हाइकु
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गंधें उड़ाती
बौराई तितलियां
रंभा उर्वशी
—शैल रस्तोगी
वसंत आया
ओढ़ पीली चुनर
खेत बौराया
—सुनील कुमार अग्रवाल
आया वसंत
विहंस उठे भृंग
सुनाएं छंद
—संतोष कुमार सिंह
महुआ चुए
मीठी मादक गंध
मन को छुए
—डा गोपाल बाबू शर्मा
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झरोखे बैठी
फुलकारी काढ़ती
प्रकृति वधू
कुमाऊँ परी
फूलों कढ़ा आंचल
झील नगरी
—डा सुधा गुप्ता
पतझड़ है
वसंत का संदेश
नया जीवन
पीला बसंत
गुलाब हुआ मन
खुले बंधन
टेसू हैं फूले
मन हुआ बासंती
झूलना झूले
—डा शरद जैन
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