हाइकु
डूबती नाव
अंबर सागर में
दूज का चाँद।
पिघल-रहा
लावा दिल अंदर
आँखें क्रेटर ।
सिसकी हवा
उड़ चल रे पंछी
नीड़ पराया ।
यादों के मोती
चली पिरोती सुई
हार किसे दूँ।
आसमान ने
डाले तारों के हार
घरों के गले।
चौथ का चाँद
सौत की हंसुली-सा
खुभा दिल में।
गया निगल
एक पे एक गोटी
कैरम बोर्ड।
16 फ़रवरी 2007
|