अनुपमा त्रिपाठी
सुकृति
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हाइकु
१
प्रीत शृंगार
नवल अलंकार
गीत लहके
२
भोर सुहानी
कहती है कहानी
शब्द संवारे
३
पँख फैलाये
उड़ चला ये मन
झूमे मगन
४
रैन बसेरा
क्यों मन लगाए रे
दुनिया मेला
५
लिखते चलो
जीवन अभिलाषा
मन की भाषा
६
आई बहार
सकल बन फूले
रंग बिखरे
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७
पुष्प धवल
सुगन्धित बयार
खिले संसार
८
हुआ सवेरा
जागी फिर आशाएँ
खिली दिशाएँ
९
पापीहा बोले
भेद जिया के खोले
चित यों डोले
१०
आई बहार
सकल बन फूले
छाई बहार१ सितंबर २०२३ |