प्रदीप
शुक्ल
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दीपावली कहमुकरियाँ
१.
जब वो दीवाली में आये
धूम धड़ाका, शोर मचाये
कोई कसर बचा ना राखा
क्या सखि साजन? नहीं पटाखा!
२.
मैं तो हूँ उनकी दीवानी
लोग कहें हरकत बचकानी
उससे मिलें ख़ुशी की लड़ियाँ
क्या सखि साजन? ना फुलझड़ियाँ!
३.
जैसे ही वो घर में आये
पूरा घर जगमग हो जाये
हाथ बढ़ा कर उसको लिया
क्या सखि साजन? ना सखि दिया!
४.
उसका है कुछ जलवा ऐसा
घर रोशन हो सूरज जैसा
उजली लगे अमावस काली
क्या सखि साजन? ना दीवाली
२४ नवंबर २०१४ |