मंजूषा मन
जन्म- ९ सितम्बर १९७३
शिक्षा- समाज कार्य में स्नातकोत्तर
कार्यक्षेत्र-
सामुदायिक विकास के कार्यक्रमों के अंतर्गत समाज सुधार, महिला सशक्तिकरण, महिला एवं
शिशु स्वास्थ्य, शिक्षा विकास, मातृ मृत्यु एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने हेतु
कार्य एवं लेखन।
प्रकाशित कृतियाँ-
कुछ पत्र-पत्रिकाओं तथा वेब पर रचनाएँ प्रकाशित।
संप्रति-
अम्बुजा सीमेंट फाउंडेशन में कार्यक्रम अधिकारी के पद पर कार्यरत।
सम्पर्क-
manjusha.doshi@ambujacement.com
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कैसे मैं तुमसे कहूँ
कैसे मैं तुमसे कहूँ, अपने मन की बात
जब जब मैं कहने गई, लगा मुझे आघात
पिया मिलन को मैं चली, बिन डोली बारात
बाबुल-आँगन छोड़ कर, ले मन की सौगात
कोरे कागज पर चले, लिखने मन की बात
मन पीडा के संग थी, अँसुयन की बरसात
पुरवाई कुछ कह गई, मेरे कानन आय
कैसी ये ऋतु आ गई, कोई तो समझाय
रोटी हर दिन चाहिए, बुरी पेट की आग
बाकी इस संसार में, झूठी है सब बात
बारिश की इक बूँद ने, मनवा दिया जगाय
छींटे कुछ मन पे पडे, सारा ही जग भाय
रिमझिम वर्षा हो रही, मन को रही जलाय
साजन तो परदेस हैं, कुछ ना मोहे भाय
लिखना हमको सीखना, दोहा छंद व गीत
रचना से ही प्रेम है, रचना अपनी मीत
१ नवंबर २०१६ |